अपनों के बीच, अगर आपकों नजरअंदाज किया जाए, तो इससे बड़ा अपमान कहीं नहीं होगा।
सबका सत्कार करना हमारे संस्कार में होता हैं, परंतु किसी की बेज्जती करना हमारा निजी मामला होता हैं।
जो व्यक्ति आपका सम्मान ना करें, वो भी आपके सम्मान का पात्र नहीं है I इसे आपका अंहकार नहीं कहेंगे, इसे आपका आत्म- सम्मान कहेंगे।
जरूरत नही ऐसे रिश्तों की जो नजरअंदाज करे मेरे अपमान को, ऐसी भी क्या मोहब्ब्त की मैं खो दू अपने आत्म सम्मान को,
मुस्कुराते रहिए, क्योंकि ज़िंदगी एक खूबसूरत चीज़ है और मुस्कुराने के लिए बहुत कुछ है।
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