कंप्यूटर का इतिहास ।
नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है हमारे वेबसाइट www.hindiji.net में जहा आज हम बात करने वाले है कंप्यूटर के इतिहास के बारे में की इसका अविष्कार कैसे और कब हुआ।
आज हम आपको कंप्यूटर के इतिहास के बारे बतायेंगे ।
आज कंप्यूटर तो सब चलाते है मगर इसके पीछे का इतिहास किसी को नही पता इसलिए आज हम जानेंगे की
कंप्यूटर का शूरवाती दौर या कंप्यूटर का इतिहास कैसे शुरु हुआ और कौन-कौन से चरणों से इसे गुजरना पड़ा की आज इस क्रांति में एक इसको बहुत बड़ा अविष्कार माना जाता है।
शूरवात में कौन-कौन से अविष्कार हुए ।
कंप्यूटर से पहले कैलकुलेटर बना और कैलकुलेटर से पहले कौन से गणना यंत्र बने तो इस सब के ऊपर आज हम पढ़ने वाले है।
कंप्यूटर का इतिहास ?
इसका इतिहास लगभग 3000 से 4000 वर्ष पुराना है
हम इसके की इतिहास बात कर रहे है तो सबसे पहले बात कर लेते है अबेकस की।
अबेकस(abacus)- 2000- 1000 B.C ये सबसे पुराना गणना यंत्र है।
इसका अविष्कार चीन में माना जाता है।
और इसका उपयोग केवल गिनती के लिये किया जाता था।
ये एक लकड़ी में बने हुए फ्रेम या लकड़ी के फ्रेम का आकार का एक यंत्र हुआ करता था।
इसमें समांतर तार होते थे और छोटे- छोटे बिड़स(beads) यानी की मोतिया या आप बोल सकते हो मनके पिरोय जाते थे।
जो गिनती के काम में आता था।
और आज कल जो छोटे बच्चे होते है उनको इस यंत्र में गिनती सिखाने के काम में दिया जाता है।
ये प्रथम गणना यंत्र है।
परंतु जापानी लोग इसको सारोबान कहते है ।
लेकिन आपने एक सभ्यता का नाम सुना होगा मेसोपोटामिया की सभ्यता ।
मेसोपोटामिया सभ्यता के लोग गणना यंत्र को काम में लेते थे जिसका नाम गिनतारा था ।
ये गिनतारा भी अबेकस की तरह ही गणना करने का यंत्र होता था।
आज से 500 साल पीछे चले तो बात है 1617 ई की इस साल के अन्दर एक नये यंत्र का अविष्कार किया गया जिसका नाम था Napier Bons मशीन।
इसका अविष्कार किया था scottland के गणितज्ञ ने जिनका नाम था जॉन नेपियेर ।
जॉन नेपियेर ने ये यंत्र बनाया और इसका नाम रखा नपियेर बोनस।
ये यंत्र जोड़,घटाव व दशमलव की संख्याओं का गुणा करने में सक्षम था।
और ये दुनिया की पहली कैलकुलेटइंग मशीन थी ।
या हम बोल सकते है की इसा मशीहा के बाद ये पेहली कैलकुलेटइंग मशीन थी।
इसके लगभग 20-30 वर्ष बाद यानी 1642 ई में- पस्कलाइन का अविष्कार हुआ।
पस्कलाइन- ये पूरे विश्व का प्रथम मेकेनीक्ल(mechanical) कैलकुलेटर था और इसे बनाने का पुरा श्रेय फ्रांसीसी गणतिज्ञ ब्लेज पस्कल को दिया जाता है।
इसके मदद से जोड़, घटाव दोनों कर सकते थे।
पस्कलाइन का दुसरा नाम था ऐडिंग मशीन, इसका ये नाम इसलिए दिया गया था क्योकिं ये मशीन जोड़ और घटाव दोनों कर सकती थी।
ये 1st यांत्रिकी अंकीय गणना यंत्र था।
पस्कलाइन में थोडा और बदलाव या सुधार लाकर नया डिवाइस बनाया गया
था ।
जर्मन गणतिज्ञ लेबनीज ने 1694 में पस्कलाइन को, और विकसीत करके एक मशीन बनाया गया जिसका नाम था लेबनीज चक्र।
ये जो मशीन थी ये जुड़ा, घटाव, गुणा, और इसके साथ भाग आदि ये सब कर सकती थी।
लगभग 1822 ई – डिफरेंस इंजन बनाया गया जिसे एक अंग्रेज गणतिज्ञ चर्लेस बाबेज ने बनाया ।
ये पूरी तरह से सफल नही हो पाया और ये असफल हो गया ।
अफसल होने के बाद चर्लेस बाबेज ने हार नही मानी और इस डिफरेंस इंजन को नये तरह से विकसित करने की सोची।
और 1833 में डिफरेंस इंजन की ऐडवांस वर्जन एनलिटीक इंजन (Analytic engine) बनाया।
एनलिटीक इंजन में इन्होनें एक प्रोसेस यूनिट (process unit) लगाई ।
ये प्रोसेस यूनिट दिये गये इनपुट के अनुसार काम करती थी और प्रोसेस यूनिट को काम करने के लिये इसकी कोडिंग (coding )बहुत जरूरी थी ।
कोडिंग मतलब प्रोग्रामिंग (programming) होती है ।
प्रोग्रामिंग के लिये इन्होनें सहयोग लिया adda augusta का।
adda augusta ने एनलिटीक इंजन के कोडिंग के लिये यानी प्रोग्रामिंग की थी ।
जिसके आधार पर चर्लेस बाबेज ने जो एनलिटीक इंजन बनाया जो दिये गये निर्देश के अधार पर काम करता था।
ये विश्व का प्रथम प्रोग्रामिंग कहलाया गया ।
Adda Augusta को समानित करने के लिये इनके नाम पर भी एक भाषा विकसित की गई जो कंप्यूटर की एक भाषा है Adda ।
adda augusta को विश्व की प्रथम महिला प्रोग्रामर (programmer) का दर्जा दिया गया ।
इस तरह से एनलिटीक इंजन बन के तैयार हो गया लेकिन इससे थोड़े से पहले की बात करे जब ये एनलिटीक इंजन बनकर तैयार हुआ तो ये इतना पॉपुलर हुआ प्रोग्रामिंग और प्रोसेस यूनिट होने के वजह से जो इसको जो नाम दिया गया वो विश्व का प्रथम कंप्यूटर और साथ ही साथ चर्लेस बाबेज को कंप्यूटर का पिता या जनक कहा गया ।
कंप्यूटर शब्द ये चर्लेस बाबेज ने मुल रुप से लेटिन यानी ग्रीक भाषा का शब्द लिया।
अब ये ग्रीक भाषा से इंग्लिश भाषा में आ गया जिसका अर्थ था संगनक/ गणना करने वाला यंत्र।
1801 में जैकार्ड लुमिंग मशीन
ये जोसफ जैकार्ड एक बूनकर थे ।
ये बूनकर को जब कपड़े के लिये लुमिंग या पैटर्न करता था तो इसको बहुत ज्यादा टाईम लगता था।
ये फ्रांसिसी बूनकर ने एक पैटर्न को कण्ट्रोल करने के लिये एक कार्डबोर्ड बनाया था।
अब ये कार्ड बोर्ड एक पंच कार्ड जैसा था ।
कपड़े के लुम को ऑटोमेटिक कण्ट्रोल किया ताकि कपडों की बुनाई तेज हो सके।
1890 ई मे अमेरिका डॉ हरमन होलेरिथ ने tabulating मशीन बनायी।
इस मशीन के साथ इसने पंच कार्ड का अविष्कार व यूज़ किया।
tabulating मशीन को अमेरिका (USA ) में 1890 में ही जनगणना करने के लिये काम में लिया गया ।
जो जनगणना 10 साल में एक बार हुआ करती थी इसकी मदद से अमेरिका मे 3 साल में ये जनगणना पूरी कर ली गई ।
इस काम के बाद हरमन होलेरिथ को आगे काम करने की जिज्ञासा हूई और उनहोंने 1896 मे कम्पनी की स्थापना की और उस कम्पनी में पंच कार्ड का निर्माण शुरु किया।
इसलिए हरमन होलेरिथ को पंच कार्ड का पिता कहा जाता है ।
और यही कम्पनी 1924 ई में IBM के नाम से जाने गयी ।
IBM फुल फॉर्म है INTERNATIONAL BUSINESS MACHINE ये वर्तमान में सबसे अधिक PC यानी PERSONAL COMPUTER बनाने वाली MULTINATIONAL COMPANY है।जैसे- जैसे समय निकला 1930 में फिर एक नई मशीन बनाई गई और उस मशीन का नाम रखा गया डिफ्डेरेंशीयल एनालईसर (DIFFERENTIAL ANALYSER ).
डिफ्डेरेंशीयल एनालईसर – को वेन्यूर बूस ने बनाया था।
ये डिफ्डेरेंशीयल एनालईसर आज के अनालॉग (ANALOG) कंप्यूटर की तरह ही काम करता था।
1930 के बाद काफी बदलाव हुए और नये-नये मशीन बनी ।
दुनिया विकास की और बढ़ी।
अब 1939 ई में बहुत बड़ा बदलाव हुआ।
1939 में अमेरिका की हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में कुछ छात्रों और टीचरों ने एक आइडिया/विचार दिया।
इस आइडिया में काम करने के लिये वहा के टीचरों ने कई कम्पनियों को निमन्त्रण दिया की हमारे छात्रों के पास एक आइडिया है और आप सब हमारे आइडिया पर मिलकर काम करे और मशीन बनाये।
तो इस काम के लिये कोई आगे नही आया और आखिरकार एक कम्पनी राजी हूई उसका नाम IBM था ।
और हॉवर्ड के शिक्षकों ने मिलकर विश्व का प्रथम ELECTRONIC MECHANICAL COMPUTER बनाया ।
इन्होंने जो कंप्यूटर बनाया गया ये लगभग 1944 ई में बनकर तैयार हुआ।
1944 में जो कंप्यूटर बनकर आया इन्होने इसका नाम दिया MARK 1.
जिसको आगे चल कर बहुत पॉपुलर हुआ।
अब आगे इसमें भी बदलाव होते रहे और आगे एक नया कंप्यूटर बना।
जिसका नाम था ENIAC
ENIAC-ELECTRONIC NUMERICAL INTERGRATER AUTOMATIC COMPUTER
ये विकसित एवं सम्पूर्ण कंप्यूटर था।
इसमें प्रोग्राम में स्थायी रुप से समाहित कराया गया ।
ये पहला कंप्यूटर था जिसमें vaccum tube का प्रयोग किया गया ।
ये पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी में बनाया गया ।
John von neumon- 1945 में पहली बार एक स्टोर्ड प्रोग्राम कांसेप्ट (Stored Programme Concept ) दिया था।
इसी कांसेप्ट के आधार पर आज सभी कंप्यूटर काम करते या बनते है।
SPC इस कांसेप्ट में काम करती थी की जो भी आप कंप्यूटर बनायेगे पहले उसमें इनपुट देना होगा ,उस इनपुट पर प्रोसेस होगी फिर जैसे ही प्रोसेस होगी आउटपुट आपकों मिलेगा।
ये सबसे बड़ी बात पहले JOHN VON NEUMON ने बताई ।
और साथ में ये भी बताया की इसमें मैमोरी का भी प्रयोग होगा।
तो कंप्यूटर की मैमोरी में निर्देश और डाटा को स्टोर करने का कांसेप्ट का विकास हुआ।
JOHN VON NEUMON ने कंप्यूटर का बेसिक स्ट्रक्चर बनाया ।
SPC- पर बेस कंप्यूटर का नाम रखा गया था जिसका नाम था EDSAC .
EDSAC- ELECTRONIC DELAY STORAGE AUTOMATIC COMPUTER
धीरे-धीरे समय बदलता रहा और एक और नया कंप्यूटर बना।
जिसका नाम था UNIAC- 1
UNIAC-1 – (UNIVERSAL AUTOMATIC COMPUTER)1953 ई में बनाया गया, और इसको बाज़ार में बेचने के लिये भी उतारा गया ।
John Eckert और John Mauchly ने बनाया और ओर ये एक डिजिटल कंप्यूटर था।
ये प्रथम व्यवसायिक कंप्यूटर था जिसको बाज़ार में व्यापारियों को बेचा गया था।
दोस्तों कंप्यूटर का इतिहास अभी खत्म नही हुआ है इससे आगे हम जानेगे अपने अगले ब्लोग में ।
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धन्यवाद ।