अपनों के बीच, अगर आपकों नजरअंदाज किया जाए, तो इससे बड़ा अपमान कहीं नहीं होगा।
ज़रूरी नहीं हर कोई तारीफ़ करें, पर कोशिश य़ह करें, की कोई बुराई भी न करें।
गुस्से में बोले गये शब्द, कई बार रिश्ते तोड़ देते हैं, इसलिए गुस्से में जुबान को काबु में रखें, क्योंकि गुस्सा तो ठंडा हो जाता है, मगर बोली हुई बात वापस नहीं होती।
ये जिंदगी हैं जनाब, ऐसी थोड़ी ही चली जाएगी, कुछ न कुछ सीखा कर जाएगी।
आज के समय में कुछ करने के लिए, खुद को खुद ही मोटिवेट करना पड़ता है, वर्ना लोग तो टांग खींच कर गिराने में देरी नहीं करते।
किसी को खुश करने के लिए, दूसरों का अपमान मत करना, खुश होने वाले लोग आपकी तारीफ़ नहीं, बल्कि मज़ाक बना देंगे।