जरूरी नहीं कामयाबी ही आपकों हर बार सिखाये, कई बार हार भी जिंदगी के मायने सीखा देती हैं I
मान और सम्मान ये दोनों आपकी जिंदगी की कमाई गई पूँजी हैं , जो आपके कर्मों से निर्धारित होता है I
ससुराल में एक बहु, तब तक ही सबको अच्छी, और आज्ञाकारी लगती हैं जबतक, वो अपने हक के लिए आवाज ना उठाए।
जुऐ में पैसे लगाने वाले किस्मत के भरोसे बैठे रहते हैं I परंतु मेहनत करने वालों को अपने आप पर भरोसा होता है।
माता-पिता आपको डाटें तो उसको अपना अपमान ना समझें, वो आपके सपनों के खिलाफ नहीं बल्कि वो आपकों गरीब नहीं देखना चाहते हैं।
इंसान बोलने की कला सीखने में दो साल लगाता है I परंतु कब और क्या बोलना चाहिए ये जिंदगी भर नहीं सीख पाता।
अपना समय दूसरों को नीचा दिखाने में नहीं, बल्कि खुद को ऊँचा उठाने में लगाए ।
जीवन मे सफल होने के लिए इंसान को बेहरा होना पड़ता हैं, क्योंकि अधिकतर लोगों की बातें मनोबल गिराने वाली होती हैं I
आलसी व्यक्तियों का वर्तमान और भविष्य दोनों अंधकार में होता है I
चार इन्सानों के सामने की गई आलोचना, अपमान में बदल जाती हैं I परंतु एकांत में बताने पर सलाह बन जाती हैं I