रिश्तों की पहचान, दिए गए सम्मान से होती हैं, आपके पैसों के रोब से नहीं।
जब आपके अपने ही आपका अपमान करते हों, तो किसी बाहर वाले से क्या उम्मीद करेंगे।
अपनों के बीच, अगर आपकों नजरअंदाज किया जाए, तो इससे बड़ा अपमान कहीं नहीं होगा।
मुसीबत में आपसे कोई सलाह मांगे तो सलाह के साथ, उसे अपना सहयोग भी दे एक बार के लिए सलाह गलत हो सकता हैं, मगर आपका दिया हुआ साथ नहीं।
सबका सत्कार करना हमारे संस्कार में होता हैं, परंतु किसी की बेज्जती करना हमारा निजी मामला होता हैं।
व्यवहार- ज्ञान से अच्छा कार्य करता हैं ज्ञान कठिन समय में हार सकता है मगर व्यवहार उस हार को जीतने की संभावना में बदल सकता है ।
आपकी भलाई किसी के लिए तक ही हैं जब तक आप कोई गलती नहीं करते।
हाथों की लकीरों से ज्यादा, हाथों पर भरोसा किया करो, नसीब कुछ दे या ना दे, मगर हाथों से की गई मेहनत, दो वक़्त की रोटी जरूर देगा।
जो इंसान अपमान सह कर भी, रिश्तों को निभा जाए, वहीं सच्चा इंसान हैं।
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