अपनों के बीच, अगर आपकों नजरअंदाज किया जाए, तो इससे बड़ा अपमान कहीं नहीं होगा।
मुसीबत में आपसे कोई सलाह मांगे तो सलाह के साथ, उसे अपना सहयोग भी दे एक बार के लिए सलाह गलत हो सकता हैं, मगर आपका दिया हुआ साथ नहीं।
सबका सत्कार करना हमारे संस्कार में होता हैं, परंतु किसी की बेज्जती करना हमारा निजी मामला होता हैं।
ससुराल में एक बहु, तब तक ही सबको अच्छी, और आज्ञाकारी लगती हैं जबतक, वो अपने हक के लिए आवाज ना उठाए।
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