रिश्तों को समझने में समय लगता है, ये कोई किताब की वो चार लाइनें नहीं हैं, जो समझ में न आए, तो रट के खत्म कर दिया।
दूसरों से, उतनी ही उम्मीद रखें, जितना आप उनके उम्मीदों पर खरे उतर जाये।
रिश्तों की पहचान, दिए गए सम्मान से होती हैं, आपके पैसों के रोब से नहीं।
जो आप मानते हो वो, आपके विचार बन जाते हैं, विचार आपके शब्द, शब्द आपका कार्य, कार्य आपकी आदत,आदत आपका महत्व, महत्व आपकी किस्मत बन जाती हैं।
किसी की सलाह से हमे रास्ते जरूर मिलते हैं, मगर मंजिल तक पहुंचने के लिए हमे खुद ही मेहनत करनी पड़ती है।
जब आपके अपने ही आपका अपमान करते हों, तो किसी बाहर वाले से क्या उम्मीद करेंगे।
किसी की बात को सुनकर, अनसुना कर देना, उसके अपमान के समान है।
अपनों के बीच, अगर आपकों नजरअंदाज किया जाए, तो इससे बड़ा अपमान कहीं नहीं होगा।
मुसीबत में आपसे कोई सलाह मांगे तो सलाह के साथ, उसे अपना सहयोग भी दे एक बार के लिए सलाह गलत हो सकता हैं, मगर आपका दिया हुआ साथ नहीं।
सबका सत्कार करना हमारे संस्कार में होता हैं, परंतु किसी की बेज्जती करना हमारा निजी मामला होता हैं।